जिंदगी मैं इस , मैं भटकसा गया हूं, बेवजह बेखयाली मैं अटकसा गया हूं... जाना है मुझे इन खयालों से परे... पर क्या करू हुजुर , इन सवालों के भीड़ मैं गुम हो गया हूं ...। सवालों की भीड़