एक दिन के लिए ही सही, सियासी खिलाड़ी ग़ैर सियासी हो सकतें हैं। मुहँ फेरें एक उम्र कांटी तूने, सोच! क्या एक दफा मुख़ातिब हो सकतें हैं। - A.Ruhan #Mukhatib #aRuhan