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जो उठते हैं दूसरों को गिरा कर वो खड़े हैं अपनी ही

जो उठते हैं दूसरों को गिरा कर
वो खड़े हैं अपनी ही कब्रगाह पर
पड़ी है लत जिन्हें
काट कर दूसरों को कद अपना बढ़ाने की
वो तय कर नहीं पाते ऐसे जोड़ों लम्बी दूरी
वो आखिरकार बिखर ही जाते हैं 
एक ही ठोकर खाकर।
       पारुल शर्मा जो उठते हैं दूसरों को गिरा कर
वो खड़े हैं अपनी ही कब्रगाह पर
पड़ी है लत जिन्हें
काट कर दूसरों को कद अपना बढ़ाने की
वो तय कर नहीं पाते ऐसे जोड़ों लम्बी दूरी
वो आखिरकार बिखर ही जाते हैं 
एक ही ठोकर खाकर।
       पारुल शर्मा
जो उठते हैं दूसरों को गिरा कर
वो खड़े हैं अपनी ही कब्रगाह पर
पड़ी है लत जिन्हें
काट कर दूसरों को कद अपना बढ़ाने की
वो तय कर नहीं पाते ऐसे जोड़ों लम्बी दूरी
वो आखिरकार बिखर ही जाते हैं 
एक ही ठोकर खाकर।
       पारुल शर्मा जो उठते हैं दूसरों को गिरा कर
वो खड़े हैं अपनी ही कब्रगाह पर
पड़ी है लत जिन्हें
काट कर दूसरों को कद अपना बढ़ाने की
वो तय कर नहीं पाते ऐसे जोड़ों लम्बी दूरी
वो आखिरकार बिखर ही जाते हैं 
एक ही ठोकर खाकर।
       पारुल शर्मा
parulsharma3727

Parul Sharma

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