#AzaadKalakaar चमन में कोई फूल जब असमय ही मुरझा जाए तो चमन को बहुत दुख होता है ।स्मरण कीजिए वह दिन जब कोई 18 साल 8 महीना 8 दिन ही रात की स्याही और दिन का उजाला देखकर सदा के लिए आंखे बंद कर ले तो क्या होगा ।उफ कितना दुखद, कितना भयानक। हिमालय की आंखों से गंगा जमुना बह निकली होगी, आसमान कराह उठा होगा, हवाएं सिसक उठी होंगी ।भारतीय जनमानस उदासी और वेदना के अथाह सागर की अतल गहराई में डूब गया होगा। किंतु उन की आहुति स्वतंत्रता संग्राम की अग्नि को और भी प्रज्वलित कर दिया होगा ।उस अग्निपुत्र खुदीराम बोस के अमर बलिदान को मैं शत-शत नमन करता हूं। ,माता के आंचल को बढ़कर सीने वाले बधाई है वह पागल मर कर भी जीने वाले। 11 अगस्त 2018 खुदी राम बोस की पुण्यतिथि ©Dharmendra singh #खुदीराम बोस