जमाना हुआ, अब वो बरगद की छाँव नहीं मिलती, झूला पड़ा हो जिस पर, वो आम के पेड़ की शाख नहीं दिखती, जमाना हुआ, वो घर लौटने के समय, गले में दोस्तों की बाहें नहीं डलती, घर पर में इंतज़ार करती, माँ की निग़ाहें नहीं मिलती, जमाना हुआ घर छोड़े हुए, अनजाने शहर में किराए के घर पर, खाने की थाली सजी नहीं मिलती। ज़माना हुआ तुमको देखे हुए। #ज़मानाहुआ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi