#OpenPoetry उसने कहा कि अब तुम पहले जैसे नहीं रहे मैंने कहा इंसान हूं कोई साइंस की इजात नहीं उसने कहा कि अब किसकी आंखों में डूब जाते हो मैंने कहा यह आंखें है कोई पानी का तालाब नहीं उसने कहा कि क्यों मुझे इतना टूट कर चाहा मैंने कहा दिमाग से खाली था और कोई बात नहीं उसने कहा क्या मैं बेवफा हूं मैंने कहा कि तू इतनी धोखेबाज है जिसका कोई हिसाब नहीं उसने कहा भूल जाओ मुझे मैंने कहा तू है कौन सी वाली मुझे यह भी याद नहीं हा हा हा #OpenPoetry follow me love it and mention a comment #writingcompetition