#DearZindagi चित्र देख एक तेरा मैं विचित्र हो गया यूँ लगा नहा के गंगा मैं पवित्र हो गया | चित्र में लता की बेल पकड़े तू खड़ी प्रिय बारिशों को बादलों में जकड़े तू खड़ी प्रिय वादियों का जर्रा-जर्रा तेरा मित्र हो गया, यूँ लगा नहा के गंगा मैं पवित्र हो गया | इन घुमड़ते बादलों-सी हैं तेरी अंगड़ाइयाँ चल रही हैं देख तुझको मस्त-सी पुरबाइयाँ तेरे हँसने से हवा में इत्र-इत्र हो गया, यूँ लगा नहा के गंगा मैं पवित्र हो गया | तेरा नूर देख चाँद चाँदनी है खो रहा तेरे नैनों से समुद्र पावनी है हो रहा खुद बसंत जैसे तेरा वस्त्र-वस्त्र हो गया, यूँ लगा नहा के गंगा मैं पवित्र हो गया | मेरे दिल में नव उमंगों की बारात चल पड़ी यूँ लगा तू जैसे मेरे साथ-साथ चल पड़ी प्रेम-पत्र की तरह ही तेरा चित्र हो गया, यूँ लगा नहा के गंगा मैं पवित्र हो गया | #poem