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सावन का महीना आयो, आओ झूला झूलो रे सखी। रिमझिम-रिम

सावन का महीना आयो,
आओ झूला झूलो रे सखी।
रिमझिम-रिमझिम बरशे,
सावन की घटा रे सखी।
जब साथ पिया के भाय,
जब पिया साथ निभाय।
खाली-खाली लागे रे,
जब पिया संग न होय।
रात कटे न पिया बिन,
बित न पाए एक दिन।
सावन आया पिया न आया,
हरी-हरी चुडिया कौन लाय।
सात फेरो का बँधन में ,
पिया की याद कंगन में।

©Anup kumar Gopal झूला झूलो रे सखी

#LateNight
सावन का महीना आयो,
आओ झूला झूलो रे सखी।
रिमझिम-रिमझिम बरशे,
सावन की घटा रे सखी।
जब साथ पिया के भाय,
जब पिया साथ निभाय।
खाली-खाली लागे रे,
जब पिया संग न होय।
रात कटे न पिया बिन,
बित न पाए एक दिन।
सावन आया पिया न आया,
हरी-हरी चुडिया कौन लाय।
सात फेरो का बँधन में ,
पिया की याद कंगन में।

©Anup kumar Gopal झूला झूलो रे सखी

#LateNight