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ना रोक कलम आज मुझे खुल के लिखने दे, दिल में छिपे ह

ना रोक कलम आज मुझे खुल के लिखने दे,
दिल में छिपे हर ग़म को आज बहने दे।
क्या खूब चाहत दिखती थी उसकी भी आँखों में,
आज उसे भी अपने असली रूप में तो आने दे। #Pen_voice
ना रोक कलम आज मुझे खुल के लिखने दे,
दिल में छिपे हर ग़म को आज बहने दे।
क्या खूब चाहत दिखती थी उसकी भी आँखों में,
आज उसे भी अपने असली रूप में तो आने दे। #Pen_voice
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