कभी पास आओ मेरे, बैठकर कुछ बात करो। ख़्वाबों से निकलकर, हक़ीक़त में मुलाकात करो। दिल की ख़्वाहिशों को, अरमानों की दरकार है। लम्हों की थकान का, थोड़ी तो खयालात करो। मेरे ज़िस्म से निकलकर, ये रूह भी तेरी हो गई। तुम भी मेरे करीब रहो, कुछ ऐसी इनायात करो। मेरी हर धड़कन, तेरी साँसों की दीवानी हो जाए। चाहत की मुझपे ऐ सनम, कुछ ऐसी बरसात करो। वैसे तो दुनिया ने कभी, हमको मिलने ना दिया। तोड़ के सारे बंधन आओ, कुछ ऐसी करामात करो। ♥️ Challenge-666 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।