अकल्पित क्षण -------------------- प्रवाहित समय की धारा का, रमणीक वह बचपन था,, आरंभकाल की अवधि थी, अलौकिक अकल्पित क्षण था,। चित्त ईच्छाओं का विहिन था, न ही धन वैभव का लोभ था,, मां नित्य प्रत्यक्ष में व्यक्त थी, मृदु सरोज सा आंचल था,, आरंभकाल की अवधि थी, अलौकिक अकल्पित क्षण था,। दीर्घ कुटुम्ब में उद्भव था, स्नेह, प्रीति का गागर था,, मां की ममता सरोवर थी, पिता का प्रेम सागर था,, एक लघु गृह छप्पर का इक मनमोहक प्रांगण था आरंभकाल की अवधि थी, अलौकिक अकल्पित क्षण था,,। ©kamta prasad nayak अकल्पित क्षण #MothersDay2021