तू कंचन है जैसे सुबह की पहली धूप इंद्रधनुष सा जादू तेरा मनमोहनी रूप ब्रह्म कमल सी तू शीतलता, गहरी गहरी छाँव अंतर्मन को अंबर कर दे, तेरे पावन पाँव तू ओजस, तू तेजस, शोभित तेरा स्वरूप तू कंचन है जैसे सुबह की पहली धूप काशी सा है धीरज तुझमें, संगम सी गहराई गंगा ने भी सहनशीलता तुझसे ही है पाई तू अविनाशी, अंतहीन, श्रृष्टि सुगम अनूप तू कंचन है जैसे सुबह की पहली धूप तू कंचन है जैसे सुबह की पहली धूप इंद्रधनुष सा जादू तेरा मनमोहनी रूप #subah_ki_pehli_dhoop #सुबह_की_पहली_धूप #kavishala #tassavuf #skand