पालघर व्यथा शर पर लगा था डंडा या कोई खपरैल लहू से लथपथ था शरीर , महीना था अप्रैल|| ** भीड़ ** न तो ये इंसान है, न ही कोई आदमी| न तो इनका धर्म है, न ही कोई जाति भी ||