जमाल फक़त अदायगी नहीं हुस्न का अपने ज़ेहन के नापाकी को क़ुबूल करो इश्क में जफ़ा ठीक नहीं अंकित गर हो मोहब्बत तो मोहब्बत से उसे कुबूल करो बहुत मुद्दत से कमाई है तेरे वालिद ने ये दौलत फक़त महबूब पर ना इसे फ़िजूल करो अज्दाद को अपने औलाद का ही आसरा है तसव्वुर तलक ना उनको खुद से दूर करो सज्दे में जाना मस्जिद,न मंदिर जरूरी है करो वालिद का सज्दा,ख़ुदा को खुद में मक्बूल करो ~ अंकित दुबे #first_urdu_sayri