अविरल बहती नदी। वो पतली सी पगडण्डी। किनारे खड़ा बरगद का पेड़। ऊपर चिड़ियों का झुंड। दूर कँही से आती कोयल की कूक। यूँ लगता है सावन लौट आया है। बरबस तुम याद आये हो।। हल्का सा चाँद छितिज पर उगने को बेताब। थोड़ा सूरज मध्यम अपनी लालिमा के साथ। खेतों से आती सरसराती सी सर्द हवा। घोसलों के तरफ लौटते हुए पंछी। और उसी टिले पर एकाकी बैठा मैं। यूँ लगता है पल जैसे ठहर गया हो। बरबस तुम याद आये हो।। - क्रांति #बरबस #तुम_याद_आये_हो