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गजगामिनि तुम मधुयामिनि में मेरे काम की ज्वाला में

गजगामिनि तुम मधुयामिनि में
मेरे काम की ज्वाला में
धूम्र प्यार का मुखर कराती
आहुति सी छा जाती हो ।

मृगनयनी यह प्यार हमारा
कई जनम का प्रतिफल है
कहां चलें हम सहमे सहमे
विरहन कारा सब निष्फल है

अंकशायिनी , भुजबाहों में
मोम सदृश तुम पिघल पिघल कर
अमृतमयी रसधार बहा दो
क्रमिक प्यार की मधु आशा में ।
गजगामिनि तुम मधुयामिनि में
मेरे काम की ज्वाला में
धूम्र प्यार का मुखर कराती
आहुति सी छा जाती हो ।

मृगनयनी यह प्यार हमारा
कई जनम का प्रतिफल है
कहां चलें हम सहमे सहमे
विरहन कारा सब निष्फल है

अंकशायिनी , भुजबाहों में
मोम सदृश तुम पिघल पिघल कर
अमृतमयी रसधार बहा दो
क्रमिक प्यार की मधु आशा में ।