जमशेदपुर, इस नाम के जेहन में आते ही जैसे अपना सा लगता हो , पर भागदौड़ भरी इस जिंदगी में अपने शहर में समय बिताऊ ,सपना सा लगता हो । 3rd मार्च वाली वह लाइटिंग , स्कूल कि छुट्टियों के बाद वाली वह फाइटिंग । दोस्तों संग घूमना फिरना , जैम स्ट्रीट में लड़के लड़कियों का वह नाचना गाना और दुर्गा पूजा में पुरी रात पंडालों कि खूबसूरती का आनंद लेना । दिन हो या रात यह शहर उजाले में ही जीता है, चाहे हो मजदूर या कोई मोटा सेठ सब का जीवन यहां बीतता है । एशिया का सबसे बड़ा औधौगिक क्षेत्र है यहां , हजारों कामगारों कि रोजी रोटी चलती है जहां । प्रकृति की धरोहर में इस शहर का ना कोई सानी है, क्युकी यहां कि जनता जुबिली पार्क और दलमा पहाड़ की दीवानी है । यहां ना कोई प्रदूषण को लेकर दुखी होता है, ना कोई मजदूर भूखा सोता है , क्युकी साफ - सफाई से लेकर इस शहर की सुंदरता का जिम्मा टाटा स्टील का होता है । सच में यार अपने शहर जमशेदपुर की बात ही निराली है, यहां जन्मे आर माधवन और इम्तियाज़ अली हैं । मुझे अपने शहर की बहुत याद आती है, जब जब याद करूं बचपन की कोई याद ही दिला जाती है। कितना खुशनुमा था उस शहर में अपना बचपन, काम - धाम कुछ नहीं फिर भी नखरे थे पचपन । यहां भीड़ लगती है खाने को गोलगप्पे गोलमटोल , यार मुझे भी याद आती है रीगल वाली चौमिन मोमोज और एगरोल । खेल कूद से लेकर शिक्षा में भी हमारे शहर का स्थान है , कीनन स्टेडियम में जेएफसी वाली फुटबॉल मैच से लेकर एक्सएलआरआई जैसे यहां शान हैं । ना प्रदूषण का नाम है यहां ना अशांत वातावरण का कोई लोड , इस इस शहर में घूमने तो निकलो साहब , जगह जगह दिख जाएंगी आपको पार्क कि दिशा बतलाती बोर्ड । #jamshedpur #sabdawali #भागदौड़ #अपना town