मुझे भूलने की कोशिश कर रहा है वो हर लम्हा मेरे ख्यालों से गुजर रहा है वो तोड़कर नाता मुझसे फंस गया है अब कतरा कतरा बाबस्ता बिखर रहा है वो बदनाम हो गया वफाओं के बाजार में बेवफाई के साथ कर बसर रहा है वो दिया है दर्द मुझे उसने बेइलाज सा एक अब खुद ही जख्मों सा पसर रहा है वो हस्ती मिटाने की चाहत थी उसको मेरी मुझे हंसता देख खुद ही मर रहा है वो डॉ विनोद कुमार शकुचन्द्र ©Anjali #hwartbroken #Thoughts