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वो कहते थे क्यूं हमारे प्यार में, बरकत नहीं होती।

वो कहते थे क्यूं हमारे प्यार में, बरकत नहीं होती।
वो आग नहीं होती, ज़हन में शिरकत नहीं होती।
काश‌ अपने दिल को आजमाते वो,सुनने मेरे अल्फाजों की दस्तक।
इश्क होता है क्या, उन्हें पहचानने में दिक्कत नहीं होती।।

उसे खुश देख सबर था, कि सब कुछ बताता नहीं था मैं,
मुझमें बेशुमार ज़हर था, कि करीब उसे लाता नहीं था मैं।
बिना टहनी का वो गुलाब, दिया था उसने जब मुझे,
उसे लगता कांटों से डर था , तभी धड़कने अपनी सुनाता नहीं था मैं।।

हमारे इश्क में, बाल भर की भी नज़ाकत नहीं होती,
उन्हें मुझसे, तिनके भर की भी शिकायत नहीं होती।
काश‌ दूरियों और मज़बूरियों में फ़रक जान पाते वो,
इश्क होता है क्या, उन्हें पहचानने में दिक्कत नहीं होती।।

मेरी आंखों में था कहर , तो पलकों में उसे बिठाता तो भला कैसे,
बाहों में छिपाकर, सीने से लगाता तो भला कैसे।
मेरे दर्द ढूंढते हैं मौका, बताने मेरे बीते कल की कलह को।
तो दिल खोल कर, उसको मेरा दिखाता तो भला कैसे।।

कभी कभार कुछ छिपाना, हिमाक़त नहीं होती,
अपने गमों को यूं ही दिखाना, सबकी आदत नहीं होती।
काश किसी तरह अपना पाते वो, मेरी ये नकली मुस्कुराहट,
इश्क होता है क्या, उन्हें पहचानने में दिक्कत नहीं होती।।

©Rahul Kaushik #Shaayavita #i_hate_love #Difficult_to_understand #Barkat #Shirkat #Dil__ki__Aawaz #Dikkat 

#Heart
वो कहते थे क्यूं हमारे प्यार में, बरकत नहीं होती।
वो आग नहीं होती, ज़हन में शिरकत नहीं होती।
काश‌ अपने दिल को आजमाते वो,सुनने मेरे अल्फाजों की दस्तक।
इश्क होता है क्या, उन्हें पहचानने में दिक्कत नहीं होती।।

उसे खुश देख सबर था, कि सब कुछ बताता नहीं था मैं,
मुझमें बेशुमार ज़हर था, कि करीब उसे लाता नहीं था मैं।
बिना टहनी का वो गुलाब, दिया था उसने जब मुझे,
उसे लगता कांटों से डर था , तभी धड़कने अपनी सुनाता नहीं था मैं।।

हमारे इश्क में, बाल भर की भी नज़ाकत नहीं होती,
उन्हें मुझसे, तिनके भर की भी शिकायत नहीं होती।
काश‌ दूरियों और मज़बूरियों में फ़रक जान पाते वो,
इश्क होता है क्या, उन्हें पहचानने में दिक्कत नहीं होती।।

मेरी आंखों में था कहर , तो पलकों में उसे बिठाता तो भला कैसे,
बाहों में छिपाकर, सीने से लगाता तो भला कैसे।
मेरे दर्द ढूंढते हैं मौका, बताने मेरे बीते कल की कलह को।
तो दिल खोल कर, उसको मेरा दिखाता तो भला कैसे।।

कभी कभार कुछ छिपाना, हिमाक़त नहीं होती,
अपने गमों को यूं ही दिखाना, सबकी आदत नहीं होती।
काश किसी तरह अपना पाते वो, मेरी ये नकली मुस्कुराहट,
इश्क होता है क्या, उन्हें पहचानने में दिक्कत नहीं होती।।

©Rahul Kaushik #Shaayavita #i_hate_love #Difficult_to_understand #Barkat #Shirkat #Dil__ki__Aawaz #Dikkat 

#Heart
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