गजब करती हैं ये पलकें भी......... जाने क्यूँ खुद ही झुक जाती हैं, जो कर ना सकें खुली आँखे ये बन्द होकर भी कर जाती हैं... सींचती हैं आँसूओं से यादों को छुपा कर रखती हैं जज़्बातों को, जो चाहतें हैं हम छुपाना सबसे उस पर पर्दा बन गिर जाती हैं... बिखर जाएंगे या सँवर जाएंगे ये तो कोई नहीं जानता मगर, जो ख्वाबों आँखों में पलते हैं उनकी पहरे दार बन जाती हैं। खुली हों तो ज़माना हो सामने सबकी पहचान कराती हैं ये, बन्द होती हैं ये जब भी कभी हमको हम से मिला जाती हैं... गजब करती हैं ये पलकें भी............. #palke