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किसी दिन कभी अकेले बैठ स्वयं के अस्तित्व को तलाशना

किसी दिन
कभी अकेले बैठ स्वयं के अस्तित्व को तलाशना, 
            फिर सुबह उठकर के, 
          मुसाफ़िरों की भरी भीड़ में... 
            अपनी परछाई ढूँढना..! 
               कभी किसी दिन.., 
           दर्पण के समक्ष खड़े होकर
            स्वयं से कुछ बातें करना
कभी औरों से स्वयं को अलग जानने की कोशिश करना         
  कभी मंजिल की अपेक्षा सफर का आनंद लेना 
       बिती कड़वी बातें याद कर पीछे मुड़ जाना।
             कभी हर एक लम्हे में जीना , 
          कभी हर एक लम्हे में मरते रहना .. 
     कभी सुनसान राहों पर स्वयं को अकेला पाना.. 
कभी परेशान होकर स्वयं को कमरे में बंद कर रो लेना , 
फिर अगली सुबह पुनः से स्वयं को हँसता हुआ पा लेना।                           -झलक अग्रवाल
©lafzo_ki_udaan #Khyal #based_on_life #Lafz #dailyquotes #WrittenByMe #ajmer #Poet #Poetry #oftheday #Nojoto
किसी दिन
कभी अकेले बैठ स्वयं के अस्तित्व को तलाशना, 
            फिर सुबह उठकर के, 
          मुसाफ़िरों की भरी भीड़ में... 
            अपनी परछाई ढूँढना..! 
               कभी किसी दिन.., 
           दर्पण के समक्ष खड़े होकर
            स्वयं से कुछ बातें करना
कभी औरों से स्वयं को अलग जानने की कोशिश करना         
  कभी मंजिल की अपेक्षा सफर का आनंद लेना 
       बिती कड़वी बातें याद कर पीछे मुड़ जाना।
             कभी हर एक लम्हे में जीना , 
          कभी हर एक लम्हे में मरते रहना .. 
     कभी सुनसान राहों पर स्वयं को अकेला पाना.. 
कभी परेशान होकर स्वयं को कमरे में बंद कर रो लेना , 
फिर अगली सुबह पुनः से स्वयं को हँसता हुआ पा लेना।                           -झलक अग्रवाल
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