बंजर ज़मीन जैसी मेरी ज़िन्दगी में, वर्षा-ऋतु बन कर वो आयी। प्यार की बारिश कर उसने, सुखी मिट्टी को उपजाऊ बनायी। सख्त बहुत था दिल से मै, उस बरसात ने नर्म बना दिया। जो भूमि सख्त हो गयी थी, उसे तूने हरा-भरा बना दिया। ना जाने मंज़ूर क्या था तक़दीर को मेरी, ना जाने कैसा मोड़ दिखा दिया। एक चिंगारी कहीं से आ गयी, जिसने सब कुछ जला दिया। अब हूँ इसी इंतज़ार में के, कब वो वर्षा-ऋतु फिरसे आएगी। जो मेरी बंजर ज़िन्दगी को, उपजाऊ फिर से बनाएगी। #NojotoQuote