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कभी जब अन्याय कानून बन जाता है ; तो...विद्रोह अ



कभी जब अन्याय कानून बन जाता है ;

तो...विद्रोह अपना कर्तव्य बन जाता है !


सबको कोई ना कोई पक्ष चुनना ही होगा ;

कोई ना कोई तो तानाशाही बन जाता है !


अगर जमीर जिंदा है तो विरोध कीजिए.;

वरना सिर झुकाकर शरीर अकड़ जाता है ! 


समर शेष है, पाप का भागी केवल नहीं वयाघ्र;

जो तटस्थ है,समय लिखेगा उनका भी अपराध!

©V. Aaraadhyaa
  #अन्याय