रक़म ज़िन्दगी की ख़र्च हो रही, दवा ही आदतन मर्ज़ हो रही। पड़ा हूँ बेबस दहलीज़ पे जिंदा, दुआ लोगों की मुझपे कर्ज़ हो रही। गुनगुनाता था जिसे नग्मों की तरह, उस जिंदगी की बेसुरी तर्ज़ हो रही। भूल चुका हूँ मैं अहले वफ़ाओं को, आंखों को जाने कैसी गर्ज़ हो रही। नेकी-ओ-गुनाह की सब कलाकृति, 'डिअर' तेरे हिस्से में दर्ज़ हो रही। #dearsdare #rakam #jindagi #dwa #marj #karz #yqdidi #yqbaba