घर की टपकती छत छोड़ आया हूं , पापा की आंखों में कसक छोड़ आया हूं | पीपल की ठंडी छांव छोड़ आया हूं, दोस्तों मैं अपना गांव छोड़ आया हूं || इस बार किस्मत से भी लड़ जाऊंगा , पापा आप चिंता मत करना, मैं जीतकर घर आऊंगा || ©Durvesh Singh #motivacion #Top #hindi_poetry #durveshsingh #durveshsir Himshree verma