दर्द की अपनी इक भाषा होती है, ना जानें कितनी दबी निराशा होती है, मुस्कुराहट के पीछे छिपी उदासी होती है, लफ़्ज़ों को तो बस ख़ामोशी की हीं दिलाशा होती है।। #🖊️दर्द की अपनी भाषा होती है