फटी चादर बदलनी है नयी चादर बिछानी है घर की रौनक बुलानी है चले आओ चले आओ फटी ढिबरी बुझानी है नयी बत्ती जलानी है रोशनी को जीतानी है चले आओ चले आओ ©संजीव #चादर #रोशनी #ढिबरी #बत्ती #Books