बिना मांगे जब मिले कुछ तो शुक्रगुजार हूं मैं। गर छीन ले बिना परखे मुझे तो क्या हकदार नहीं मैं। पूछने की हिम्मत भी बाकी नही मुझमें लोगो के तंज सब बयां करते है। फिर भी एक खवाइश थी दिले नादान की खता क्या थी मेरी, सजा क्यों ये मिली। #रुसवाईयां