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तूने बख़्शे हैं जो आज़ार कहॉं रक्खूँगा ये गिरे गुन

तूने बख़्शे हैं जो आज़ार कहॉं रक्खूँगा
ये गिरे गुन्बदो मीनार कहॉं रक्खूँगा !
मेरा घर है कि किताबों से भरे हैं कमरे
सोच इसमें भला हथियार कहाँ रक्खूँगा !
अपने बच्चों से हरेक ज़ुल्म छुपा लूँगा मगर,
छः दिसंबर तेरे अखबार कहाँ रक्खूँगा !

#BabariZindaHai




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©Sarfaraj idrishi #writing तूने बख़्शे हैं जो आज़ार कहॉं रक्खूँगा
ये गिरे गुन्बदो मीनार कहॉं रक्खूँगा !
मेरा घर है कि किताबों से भरे हैं कमरे
सोच इसमें भला हथियार कहाँ रक्खूँगा !
अपने बच्चों से हरेक ज़ुल्म छुपा लूँगा मगर,
छः दिसंबर तेरे अखबार कहाँ रक्खूँगा !
#BabariZindaHaiRahi Gopal Barupal indu singh gudiya RITU VS ALOK
तूने बख़्शे हैं जो आज़ार कहॉं रक्खूँगा
ये गिरे गुन्बदो मीनार कहॉं रक्खूँगा !
मेरा घर है कि किताबों से भरे हैं कमरे
सोच इसमें भला हथियार कहाँ रक्खूँगा !
अपने बच्चों से हरेक ज़ुल्म छुपा लूँगा मगर,
छः दिसंबर तेरे अखबार कहाँ रक्खूँगा !

#BabariZindaHai




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©Sarfaraj idrishi #writing तूने बख़्शे हैं जो आज़ार कहॉं रक्खूँगा
ये गिरे गुन्बदो मीनार कहॉं रक्खूँगा !
मेरा घर है कि किताबों से भरे हैं कमरे
सोच इसमें भला हथियार कहाँ रक्खूँगा !
अपने बच्चों से हरेक ज़ुल्म छुपा लूँगा मगर,
छः दिसंबर तेरे अखबार कहाँ रक्खूँगा !
#BabariZindaHaiRahi Gopal Barupal indu singh gudiya RITU VS ALOK