Nojoto: Largest Storytelling Platform

हलाहल सा असहनीय कड़वा घूंट पी रहा । फिर भी खुशिया

 हलाहल सा असहनीय कड़वा घूंट पी रहा ।
फिर भी खुशियां बांटने को जी रहा ।।

सहन नहीं होता, लेकिन कंठ में रोक रखा ,
लगता है मेरा रोम-रोम कंकड़-कंकड से,
शंकर-शंकर हो रहा ।।


©दुलामणी पटेल

©Dulamani Patel (सारथी)
  #जीवन #अनुभव #हलाहल #शिव