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White दिन के दरवाज़े पे लाख पहरा क्यों न हो, सवेरा

White दिन के दरवाज़े पे लाख पहरा क्यों न हो,
सवेरा सुनहरा दूर ठहरा क्यों न हो,
अंधेरा कितना भी गहरा क्यों न हो,

उसके बाद 
रौशनी की किरणें आनी ही आनी है।

©पूजा सक्सेना ‘पलक’
  #motivation_Status  प्रेरणादायी कविता हिंदी

#motivation_status प्रेरणादायी कविता हिंदी

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