सनम (ग़ज़ल) *************** हम-नफ्स दोषी नहीं,हम खुद के सताए हुए हैं। बिरहा की आग में !..तपिश के सताए हुए है ।। इस खुलूस से वो नकारते हमारी हर बात को। हम खुद ही अपने कदम पीछे हटाए हुए हैं ।। महफूज़ रखा है नाम उनका लबों पर हमनें। हम अपनी तस्वीरों में उनको छुपाए हुए हैं।। वो मासूम हम-नशी!.. महर औ माह सा । ताबताक चेहरे से हम धोखा खाए हुए हैं।। दिल-ओ-दिमाग में ' रोज़ी' छाए इस क़दर। उनकी यादों में अपने अंदर समाए हुए हैं।। #cinemagraph #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkpc15 #colabwithकोराकागज़