यूं जो तुम हमसे खफ़ा रहती हो, हम कोई ख़तावार थोड़े ही हैं। तुम हर बात पे शक जो करती हो, ये कोई प्यार थोड़े ही है । और भूलना कहाँ तक लाज़िम है हमारी मोहब्बत को, ये इम्तहान लेती हो मोहब्बत के ये कोई बाजार थोड़े ही है ।। यूं बेवज़ह उबाल तुम्हारा लाज़िम तो नहीं मुझ पर, ये मोहब्बत है मेरी जान तुम्हारा दरबार थोड़े ही है ।। ©Yogesh RJ05 ye Mohabbat hai meri jaan