गिर कर उठना उठ कर गिरना, यही क्रम है संसार का। कर्मयोगी को, फर्क नही पड़ता, क्षणिक जीत या हार का। "नि:स्वार्थ" "कर्म" करते रहो, जो भी होगा, "अच्छा" ही होगा थोड़ा "late" होगा, पर "latest" होगा "बुरा" करने का विचार आए तो, "कल" पर टालो "अच्छा"करने का विचार आए तो "आज" ही कर डालो #LifeChangingBookOnDiwali