मोतियों की माला पिरोते शाम हो गयी कल जो थी इतने करीब आज अनजान हो गयी कहते हैं लोग की भूल जा उसकी यादों को कौन बताये ये छोटी सी ज़िन्दगी उसके नाम हो गयी ©ठाकुर परीक्षित सिंह #परीक्षितसिंह