कोरोना से विनती गलत, सही का फर्क; सरल लोगों को समझाकर जाओ। फिर से आ ही गई हो तो करतब अपना दिखलाकर जाओ। किनको मतलब राज-पाट से; किनको मतलब जनता से। राज स्वास्थ्य सेवाओं का; सबके बीच खुलवाकर जाओ। मुख्य मुद्दा मंदिर, मस्जिद: या फिर भूखी, रोगी आवाम है? अल्लाह हू अकबर मस्जिद से, या फिर जयकारा श्री राम है? मुल्लों के शव जलवाकर, और हिंदुओं के गड़वाकर जाओ। फिर से आ ही गई हो तो करतब अपना दिखलाकर जाओ। ये रोज-रोज का जीना मरना; नहीं सबके बूते की बात है। महंगी, बेरोजगारी की मार; नैसर्गिक है या भीतरघात है? जो अंधभक्ति में झूम रहे हैं ; उनको भी बात बताकर जाओ। फिर से आ ही गई हो तो करतब अपना दिखलाकर जाओ। चुप रहना स्वामीभक्ति है; और कभी मजबूरी है मजमून की। हां, आज की राजनीति में जायज है; निर्दोषों का खून भी। पर देश ज़िद से नहीं चलता है; सत्ता तनिक हिलाकर जाओ। फिर से आ ही गई हो तो करतब अपना दिखलाकर जाओ। कड़वी बात