बाद मरने के भले हम स्वर्ग में मिल जाएंगे पर ज़मीं पे लग रहा है एक ना हो पाएंगे मैं तिमिर घनघोर किंतु श्वेत सा तुम चन्द्रमा हो ज़िन्दगी की मैं निराशा हूँ मग़र तुम प्रेरणा हो हो न पायेगा बराबर , तौल में अपना तराजू चैत्र की मैं हूँ अमावस, तुम शरद की पूर्णिमा हो स्वप्न जो देखे हैं पूरे एक ना हो पाएंगे बाद मरने के भले हम....... तुम समन्दर सी वृहद तो, मैं लघुत्तम सीप जैसा तुम स्वयं दीपावली हो, मैं महज़ एक दीप जैसा है तुम्हारे और मेरे बीच इतना फासला कि तुम शहद की बूँद हो तो, मैं अछूता पीप जैसा तो, एक संग हम दोनों के उल्लेख ना हो पाएंगे बाद मरने के भले हम स्वर्ग में....... बेसुरा-बेताल हूँ मैं, तुम मग़र सुर साधिका हो रूप में मैं जॉनी लीवर सा मगर तुम दीपिका हो साँवरा मैं कृष्ण सा तुम, गोरी-गोरी राधिका हो प्रेम में अनपढ़ हूँ मैं पर,तुम इसीका शिक्षिका हो किरदार आपस में हमारे शेक ना हो पाएंगे लग रहा है इस धरा पर एक ना हो पाएंगे...... --प्रशान्त मिश्रा गीत- एक ना हो पाएंगे