राज़ मेरे जनाजे में महमुर सभी लोगों को मेरा वंदन.... यहाँ फिर से गला घोंटा जा रहा है एज बेटी की ख्वाइशों का.. हाँ में ये नही कह रही मुझे मेरे माँ बाबा ने पढ़ाया लिखाया नही..... ये भी बिल्कुल नही कह रही जरूरते पूरी नही की... पर क्या मुझे सिर्फ इसिलये पढ़ाया लिखाय था कि ताकि मुझे शादी करके दूसरे घर भेज दो...... जब मेरी बारी आई जिम्मेदारी निभाने की तो मुझे ऐसे ही दूर कर दिया। क्या लगता है आपको की आपने इतना पढ़ाया लिखाया जो मेरे अब काम आने वाला है। अरे नही जैसे माँ घर तक सिमट कर रही गई है....ठीक वैसे ही में भी रह जाउंगी... पर मैने मेरी ज़िन्दगी के कुछ सपने भी तो देखे थे...बताया तो था माँ को...फ़िर आज क्यों उन्होंने बोल दिया की यही समाज की रीत है...जो चलती आई है वो ही होगा आगे पीछे करनी है फिर अच्छा लड़का नही मिलेगा। पर में क्यों मेरी ज़िन्दगी की लगाम किसी और के हाथ मे दे दू क्यों जीते जी मौत से भी बुरी ज़िन्दगी जिऊ..क्यों आखिर क्यों? ©vandanaverma ये हर एक उस लड़की की कहानी है ।जो कुछ करना चाहती है पर गर वाले शादी करवा देते है।और हाँ सभी ससुराल वाले ऐसे नही होते की बहु को आगे पढाये।