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हिंदू होकर हिंदुत्व से डरते हो तुम 111111111111111

हिंदू होकर हिंदुत्व से डरते हो तुम
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प्रमोद को  बांध नहीं सकता  कोई अपने  मन के खूंटी में,
मैं कैद कर रखा हूं तुम्हारे दिलो-दिमाग को अपने मुट्ठी में।
तुम्हारे बढ़ने वाले हर कदम का गलियारा मेरा है,
तुम्हारी आंखों की रोशनी से होता रोज सवेरा है।
उंगली   जिधर  भी  चलती  है  नटखट   तुम्हारी,
शब्द  निचोड़  कर  कमेंट करती  है सोच हमारी।
हिन्दू हो कर हिन्दुत्व से डरते हो तुम,
सर कटते हुए देख कर भी गुम सूम रहते हो तुम।
कभी महंगाई कभी बेरोजगारी का रोना सर पर सवार है,
मुफ्त कि आदत से हुआ इंसानियत बीमार है।
धर्म  संकट में  है पर समझ  नहीं रहा  है कोई,
घर जलने वाला है फिर भी मन मस्ती में है खोई - खोई।
35 टुकड़े करने वाला धर्म तमाशा देख रहा है,
हिन्दू कितना बेशर्म है मोदी , योगी का आशा देख रहा है।
उठो नौजवानों आग लगा दो अब भी अपने सीने में,
भगवान कण - कण में है नहीं है सिर्फ मदीने में।
अस्त्र शस्त्र लिपटी है गेरुआ वस्त्र सूती में,
प्रमोद  को बांध नहीं सकता कोई  अपने मन के  खूंटी में,
(((((((((((((((((((((((((())))))))))))))))))))))))))))
प्रमोद मालाकार की कलम से।

©pramod malakar #हिंदू होकर हिंदुत्व से डरते हो तुम!
हिंदू होकर हिंदुत्व से डरते हो तुम
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प्रमोद को  बांध नहीं सकता  कोई अपने  मन के खूंटी में,
मैं कैद कर रखा हूं तुम्हारे दिलो-दिमाग को अपने मुट्ठी में।
तुम्हारे बढ़ने वाले हर कदम का गलियारा मेरा है,
तुम्हारी आंखों की रोशनी से होता रोज सवेरा है।
उंगली   जिधर  भी  चलती  है  नटखट   तुम्हारी,
शब्द  निचोड़  कर  कमेंट करती  है सोच हमारी।
हिन्दू हो कर हिन्दुत्व से डरते हो तुम,
सर कटते हुए देख कर भी गुम सूम रहते हो तुम।
कभी महंगाई कभी बेरोजगारी का रोना सर पर सवार है,
मुफ्त कि आदत से हुआ इंसानियत बीमार है।
धर्म  संकट में  है पर समझ  नहीं रहा  है कोई,
घर जलने वाला है फिर भी मन मस्ती में है खोई - खोई।
35 टुकड़े करने वाला धर्म तमाशा देख रहा है,
हिन्दू कितना बेशर्म है मोदी , योगी का आशा देख रहा है।
उठो नौजवानों आग लगा दो अब भी अपने सीने में,
भगवान कण - कण में है नहीं है सिर्फ मदीने में।
अस्त्र शस्त्र लिपटी है गेरुआ वस्त्र सूती में,
प्रमोद  को बांध नहीं सकता कोई  अपने मन के  खूंटी में,
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प्रमोद मालाकार की कलम से।

©pramod malakar #हिंदू होकर हिंदुत्व से डरते हो तुम!