"यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत् । एवं परुषकारेण विना दैवं न सिद्ध्यति ।।" अर्थात – "जैसे एक चक्र (पहिए) से रथ नहीं चल सकता । ठीक उसी प्रकार बिना पुरुषार्थ के भाग्य सिद्ध नहीं हो सकता है ।" #WednesdayThoughts ©Nishant Kumar #thought