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"यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत् । एवं परुषक

"यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत् ।
एवं परुषकारेण विना दैवं न सिद्ध्यति ।।"

अर्थात – "जैसे एक चक्र (पहिए) से रथ नहीं चल सकता । ठीक उसी प्रकार बिना पुरुषार्थ के भाग्य सिद्ध नहीं हो सकता है ।"

#WednesdayThoughts

©Nishant Kumar #thought  aman6.1 Ritika Shaw Ranjit Mandal Arun Kumar Yadav Jwala Kumar
"यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत् ।
एवं परुषकारेण विना दैवं न सिद्ध्यति ।।"

अर्थात – "जैसे एक चक्र (पहिए) से रथ नहीं चल सकता । ठीक उसी प्रकार बिना पुरुषार्थ के भाग्य सिद्ध नहीं हो सकता है ।"

#WednesdayThoughts

©Nishant Kumar #thought  aman6.1 Ritika Shaw Ranjit Mandal Arun Kumar Yadav Jwala Kumar
nishantkumar1497

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