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शब्दों से जादू देता हूँ बिखेर भावों को पिरोकर बिना

शब्दों से जादू देता हूँ बिखेर
भावों को पिरोकर बिना हेर फेर
चाँद की बातें,अमावस की रातें
काल्पनिक पात्रों से मुलाकातें।
रोते लोगों को हँसा देना
हर किसी को शब्दों में फंसा लेना।
परखों में खुशबू हर फूल में
मोती ढूढ़ लूँ में जमीं की धूल में।
शब्दों से मिल जब चलती हैं कलम
बना दे हर किसी को फिर वह सनम।

©Kamlesh Kandpal
  #InspireThroughWriting