।।सपने।। दिल की फिसलन भरी उलझी दीवारों पर चढ़ती गिरती, संभलती, उठती। हूबहू! राजा की मकड़ी की तरह मेहनत करती दिमाग की बिजलियों से झटके खा कर धमनियों संग हर अंग को मना कर अपने रंग में रंग कर अंत में मूर्त रूप लिए सामने आ खड़े होते हैं। हमारे सपने। तुम्हारे सपने। ।।मुक्ता शर्मा ।। ©Mukta Sharma Tripathi #muktamusafirparinde #मुक्तामुसाफिरपरिंदे