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मुझे थोड़ा जिम्मेदार बनाने में बहुतों का हाथ है, म

मुझे थोड़ा जिम्मेदार बनाने में बहुतों का हाथ है,
मेरे सपनों को सजाए रखने भी कईयों का साथ है,

लेकिन सबसे ज्यादा शायद मददगार वो बूढ़े हाथ रहे,
जो अपने कहानियाँ और अपने तज़ुर्बे लिए, मेरे साथ रहे,

दादाजी और नानाजी ने मुझे अनुशासन में रहना सिखाया,
नानी और दादी ने मुझे कहानियों से भी, सीख लेना सिखाया,

जब मम्मी और पापा दोनों अपने अपने कामों में व्यस्त होते थे,
वो ही तब खिलौनों और कहानियों के जरिए से मुझे बहलाते थे,

🙏पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें🙏
(Full piece in the caption) मुझे थोड़ा जिम्मेदार बनाने में बहुतों का हाथ है,
मेरे सपनों को सजाए रखने भी कईयों का साथ है,

लेकिन सबसे ज्यादा शायद मददगार वो बूढ़े हाथ रहे,
जो अपने कहानियाँ और अपने तज़ुर्बे लिए, मेरे साथ रहे,

दादाजी और नानाजी ने मुझे अनुशासन में रहना सिखाया,
नानी और दादी ने मुझे कहानियों से भी, सीख लेना सिखाया,
मुझे थोड़ा जिम्मेदार बनाने में बहुतों का हाथ है,
मेरे सपनों को सजाए रखने भी कईयों का साथ है,

लेकिन सबसे ज्यादा शायद मददगार वो बूढ़े हाथ रहे,
जो अपने कहानियाँ और अपने तज़ुर्बे लिए, मेरे साथ रहे,

दादाजी और नानाजी ने मुझे अनुशासन में रहना सिखाया,
नानी और दादी ने मुझे कहानियों से भी, सीख लेना सिखाया,

जब मम्मी और पापा दोनों अपने अपने कामों में व्यस्त होते थे,
वो ही तब खिलौनों और कहानियों के जरिए से मुझे बहलाते थे,

🙏पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें🙏
(Full piece in the caption) मुझे थोड़ा जिम्मेदार बनाने में बहुतों का हाथ है,
मेरे सपनों को सजाए रखने भी कईयों का साथ है,

लेकिन सबसे ज्यादा शायद मददगार वो बूढ़े हाथ रहे,
जो अपने कहानियाँ और अपने तज़ुर्बे लिए, मेरे साथ रहे,

दादाजी और नानाजी ने मुझे अनुशासन में रहना सिखाया,
नानी और दादी ने मुझे कहानियों से भी, सीख लेना सिखाया,