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कभी कभी गुमनाम हवाऐं रुह को चुम जाती है, दिल उनके

कभी कभी गुमनाम हवाऐं रुह को चुम जाती है,
दिल उनके तसव्वुर में हवाओं संग घूम आती है।

जब महकती है केवड़े की मदमाती क्यारियाँ,
बेचैन हवाऐं मन को कहाँ काबू कर पाती है।

शेफालिका जब सुरभित होती कौमुदी को चूम कर,
फिजाओं के कण कण में घुल कर मदन राग फैलाती है।

हवाओं संग जब दूर से आती है पपीहे की तान,
पी-कहाँ करता चातक को पिया की याद सताती है।

मंद मंद पुरवाई मधुमास में जब उनके गली से आती है,
ख्यालों में पिया को "अम्बे" बहुत करीब पाती है।

अम्बिका मल्लिक ✍️✍️

©Ambika Mallik
  #मधुमास