मुझे टूटना ,यू बिखरना नही आता संभाल लेती हू हर बार खुदको मै पत्थर हू तेरे लिए.. मुझे बदलना नही आता अमानत उनकी परवरिश का मुझे खुदसे खुदको बदलना नही आता और खुदके रूठ जाने पर खुद को मना ही लेती हू मुझे औरो की तरह किसी पर झिड़कना नही आता..... हर किसी की ख्वाहिश पूरी करू पर अपनी जरूरतो के लिए बोलना तक नही आता.... कुछ हिसाब दुखो का यू लगाया है.. दर्दो को ज़हर मे घोलकर पी जाऊ पर..... मा-बाप की ये उम्मीद -ए- जिन्दगी मुझे इसमे ज़हर घोलना नही आता.... #मां #पापी #की #है #जिन्दगी.....