आवो पुनः विचार करे हम हिंदी का विस्तार करे हम जन जन में फैली है वह विद्वानों की सैली है वह ज्ञानी का अभिमान वही है भारत की पहचान वही है ऐसी हिंदी भाषा का सह्रदय सम्मान करे हम जिसके बिना मूक हो जाते मन की विचार सूख से जाते पूर्वजों को देती है वह, सुंदर ज्ञान प्रसाद जिसके बिना व्यर्थ हो जाता देवो का संवाद ऐसी अनुपन भाषा के गुणों का प्रचार करे हम जिसके साहित्य हमे सीखते अदार और सत्कार जिसकी सलीनता से रुकते बड़े बड़े से वार आओ मिल कर याद करे हम भारत मां का प्यार जन मानस की भाषा का सब मिल कर उद्धार कर हम आओ पुनः विचार करे हम हिंदी का विस्तार करे हम ©Avinash #Hindi #hindi_poetry #hindi diwas #Ka #Din #SunSet