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इतना खुशियों को ना बटोर कुछ दुख के कण भी समेट लो

इतना खुशियों को ना बटोर 
कुछ दुख के कण भी समेट लो
इतना खुश ना हो तू खुशियों को लेके 
वो दुख के कण बिखरे  हुए जीना सीखा देते है समेट लो
इतना खुशियों को ना बटोर 
कुछ दुख के कण भी समेट लो
इतना खुश ना हो तू खुशियों को लेके 
वो दुख के कण बिखरे  हुए जीना सीखा देते है समेट लो
rajkumar1665

Raj Kumar

New Creator