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हृदय की तार से राग मल्हार बजा रहा हूँ मैं, आज सिर्

हृदय की तार से राग मल्हार बजा रहा हूँ मैं,
आज सिर्फ मनासिब बंदिशे सुना रहा हूँ मैं,
जिस तार ने छेड़े थे आरोह-अवरोह के अलाप
फिर से थाट के वही सात स्वर गा रहा हूँ मैं।

©पंकज #मुक्तक #संगीतप्रेम
हृदय की तार से राग मल्हार बजा रहा हूँ मैं,
आज सिर्फ मनासिब बंदिशे सुना रहा हूँ मैं,
जिस तार ने छेड़े थे आरोह-अवरोह के अलाप
फिर से थाट के वही सात स्वर गा रहा हूँ मैं।

©पंकज #मुक्तक #संगीतप्रेम
pankajkumar1759

Pankaj Kumar

New Creator