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दौडती भागती जिंदगी थी सभी की, अचानक से रफ्तार थम ग

दौडती भागती जिंदगी थी सभी की, अचानक से रफ्तार थम गई।
दुनियां में फैली, ऐसी महामारी कि सबकी पूरी जिंदगी बदल गई।

गैरों से मिलने में कतराने लगे, अपनों से भी सबकी दूरी बढ़ गई।
वक्त के इस कठिन समय में सब अपने परायों की पहचान हो गई।

जिंदगी रहेगी तो गैरों के साथ अपनों को भी फिर अपना बना लेंगें।
फिलहाल महामारी से बचने को दो गज की दूरी को हम अपना लेगें।

खुद को बचा कर रखेंगे कोरोना से, मास्क से अपना चेहरा छुपा लेंगे।
खुद भी सम्भल कर रहेंगे और दुनियां को भी सम्भलने की सलाह देंगें।

जल्दी खत्म हो दुनियां से यह भीषण महामारी, हम यही दुआ करेंगें।
सलामत रखे सभी अपने परायों को सदा,ईश्वर से हम बस यही कहेंगें।
 🎀 Challenge-393 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
दौडती भागती जिंदगी थी सभी की, अचानक से रफ्तार थम गई।
दुनियां में फैली, ऐसी महामारी कि सबकी पूरी जिंदगी बदल गई।

गैरों से मिलने में कतराने लगे, अपनों से भी सबकी दूरी बढ़ गई।
वक्त के इस कठिन समय में सब अपने परायों की पहचान हो गई।

जिंदगी रहेगी तो गैरों के साथ अपनों को भी फिर अपना बना लेंगें।
फिलहाल महामारी से बचने को दो गज की दूरी को हम अपना लेगें।

खुद को बचा कर रखेंगे कोरोना से, मास्क से अपना चेहरा छुपा लेंगे।
खुद भी सम्भल कर रहेंगे और दुनियां को भी सम्भलने की सलाह देंगें।

जल्दी खत्म हो दुनियां से यह भीषण महामारी, हम यही दुआ करेंगें।
सलामत रखे सभी अपने परायों को सदा,ईश्वर से हम बस यही कहेंगें।
 🎀 Challenge-393 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 

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