"क्या सुकूँ है इश्क़ में?" "मैंने फ़क़त बरबादियाँ देखी है," "तुम्हें क्या मालूम, मैंने फ़ना होते रूहानियत देखी है," "आह निकलती है, पर सुनता कोई नहीं, ऐसी दर्दभरी रात देखी है," "तुम कहती हो, मेरे बिन रह नहीं सकती" "मैंने तुम्हारी भूलने की बीमारी कितनी बार देखी है" "मत करो इस क़दर इश्क़ मुझसे, वक़्त है सम्हल जाओ, मैंने बदहवास होती आरजू देखी है" "कोई लौट कर नहीं आता, मैंने बिछड़ने की इंतेहा देखी है।" ©theshekharshukla "क्या सुकूँ है इश्क़ में?" "मैंने फ़क़त बरबादियाँ देखी है," "तुम्हें क्या मालूम, मैंने फ़ना होते रूहानियत देखी है," "आह निकलती है, पर सुनता कोई नहीं, ऐसी दर्दभरी रात देखी है," "तुम कहती हो, मेरे बिन रह नहीं सकती" "मैंने तुम्हारी भूलने की बीमारी कितनी बार देखी है" "मत करो इस क़दर इश्क़ मुझसे, वक़्त है सम्हल जाओ,